12 चेलों की मृत्यु कैसे हुई |
Praise the Lord. How Did the 12 Apostles Die? 12 चेलों की मृत्यु कैसे हुई. यीशु मसीह के स्वर्गारोहण के बाद उनके चेलों ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर प्रभु यीशु के कार्य को आगे बढ़ाया. और जगह जगह जाकर यीशु मसीह की गवाही दी. चेलों ने निडर होकर यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान का प्रचार किया. चेलों ने जीने के एक नए तरीके के आगमन की शुरुआत की, और आज्ञा के अनुसार, वे सुसमाचार को पृथ्वी की छोर तक ले गए.
यीशु मसीह के 12 प्रेरितों की मृत्यु कैसे हुई | How Did the 12 Apostles Die?
1. शमौन
2. अन्द्रियास
अन्द्रियास पतरस के भाई थे. जो सबसे पहले यीशु मसीह के चेले बने. प्रेरितों के काम की एपोक्रिफ़ल पुस्तक के अनुसार, अन्द्रियास को यूनानी शहर पैट्रस में लगभग 60 ईस्वी पूर्व में क्रूस पर बांधकर मारा गया. उस पर पथराव भी किया गया जहां 2 दिन बाद उसकी मृत्यु हुई. अपने भाई पतरस की तरह, अन्द्रियास भी खुद को यीशु की तरह मरने के योग्य नहीं मानते थे। और इसलिए वह एक क्रूस से बंधा हुआ था जिसे टी आकार के बजाय एक्स आकार में लटका दिया गया था। कहा जाता है कि, अन्द्रियास ने अपने मृत्यु तक क्रूस पर से प्रचार किया था.
3. यूहन्ना
4. याकूब
जब्दी का पुत्र याकूब की मृत्यु के बारे में हम प्रेरितों के काम की पुस्तक में पढ़ते हैं, प्रेरितों के काम 12: 1-2 में लिखा हैं : “उसी समय राजा हेरोदेस ने कलीसिया के कुछ लोगों को सताने के उद्धेश्य से बन्दी बना लिया. और तलवार से योहन के भाई याक़ोब की हत्या करवा दी”. राजा हेरोदेस उसे मारकर यहूदियों को खुश करना चाहता था (प्रेरितों के काम 12: 3)। विद्वानों का मानना है कि वह यरूशलेम में 44 ईस्वी में मारा गया था.
5. फिलिप्पुस
What Happened To The 12 Disciples?
6. बरतुलमै
7. थोमा
यीशु मसीह के पुनरुत्थान के बाद “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के निशान न देख लूँ और उनमें अपनी उँगली न डाल लूँ तथा उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूँ, तब तक मुझे विश्वास नहीं होगा.” कहने वाले थोमा भी यीशु के स्वर्गारोहण के बाद येशु के कार्य को आगे बढ़ाने में जुट गए.
कहा जाता है कि, थोमा ने मध्यपूर्व में सबसे पहले प्रचार किया, फिर वह भारत आया. यहां वह ईस्वी सन 50 में पंहुचा, और बहुत प्रचार करके 7 कलीसिया स्थापित किया. थोमा ने भारत में जमकर प्रचार किया. थोमा के प्रचार से तंग आकर कुछ लोगों ने उसे भाले से मारा. एपोक्रिफ़ल प्रेरितों के काम में और सीरियाई मसीही परंपरा भी यह बताती है कि, यह प्रेरित भारत के मायलापुर में शहीद हो गया, जहाँ उस पर भाले से वार किया गया था. थोमा के शव को जहा गाड़ा गया आज वहा पर एक बड़ा चर्च है.
8. महसूल लेनेवाला मत्ती
चुंगी लेने वाला मत्ती ने अनेक देशों में जाकर खूब प्रचार किया और येशु के बारे में और उसके पुनरुत्थान के बारे में गवाही दी. अलेक्ज़ेंड्रा के क्लेमेंट के अनुसार मत्ती ने 15 वर्ष तक प्रचार किया. माना जाता है कि, ईस्वी सन 60 में प्रचार के दौरान मत्ती को इथोपिया में तलवार से मार डाला गया.
9. याकूब
याकूब, हलफई का पुत्र और प्रेरित मत्ती का भाई था. बाइबिल में याकूब के बारे में बहुत कम वर्णन किया गया है. उसके बारे में यह कहा जाता है कि, याकूब से दुश्मनी रखने वाले अलिविनस ने इसके विरुद्ध षड्यंत्र रचा. अलिविनस ने याकूब को यरूशलेम के कंगूरे पर प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया, ताकि सब लोग सुन सके. जब याकूब प्रचार करने लगा तब लोगों ने उसे कंगूरे से नीचे फेंक दिया परंतु वह मरा नहीं, तब लोगों ने पथराव करके उसे मार डाला.
दूसरी और तीसरी शताब्दी में रहने वाले एक धर्मविज्ञानी हिप्पोलिटस ने याकूब की मृत्यु के बारे में दर्ज किया है कि, “हलफै का पुत्र याकूब, जब यरूशलेम में यहूदियों को उपदेश देते हुए मौत के घाट उतार दिया गया था, और मंदिर के बगल में वहीं दफनाया गया था”
10. तद्दै
11. शमौन कनानी
शमौन कनानी ने जगह जगह जाकर यीशु मसीह की गवाही दी. वह ब्रिटेन भी गया सभी स्थानों पर आश्चर्यकर्म भी किए और अनेक कष्ट भी सहे यह मेसोपोटामिया भी गया.
12. मत्तिय्याह
यह वह शिष्य है जिसे यहूदा इस्करियोती (प्रेरितों 1: 12-26) की जगह दी गई थी. एक प्रथा के अनुसार, उसे एटिओपिया (जॉर्जिया) में नरभक्षी द्वारा पत्थरवाह से मार दिया गया था. वहीं एक और प्रथा कहती है, वह यरूशलेम में यहूदियों द्वारा पत्थरवाह किया गया था और फिर सिर कलम कर दिया गया।