1.
जो कुछ करते हो प्रेम से करो.
1 कुरिन्थियों 16:142.
जो प्रेम नहीं करता वह परमेश्वर को नहीं जानता, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है.
1 यूहन्ना 4:8
3.
प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय का संबंध दण्ड से होता है, और जो भय करता है वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ.
उससे हमें यह आज्ञा मिली हैं, कि जो कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है वह अपने भाई से भी प्रेम रखे.
1 यूहन्ना 4:21
4.
सब में श्रेष्ठ बात यह है कि, एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो, क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढाप देता हैं.
1 पतरस 4:8
5.
इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबंध है बाँध लो.
कुलुस्सियों 3:14
6.
मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इससे सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो.
यूहन्ना 13:34-357.
इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिए अपना प्राण दे.
युहन्ना 15:13
8.
पर अब विश्वास, आशा और प्रेम ये तीनों स्थायी है, पर इनमें सबसे बड़ा प्रेम है.
बैर से तो झगड़े उत्पन्न होते हैं, परन्तु प्रेम से सब अपराध ढप जाते हैं.
नीतिवचन 10:12
10.
हे प्रियो, हम आपस में प्रेम रखे, क्योंकि प्रेम परमेश्वर है. जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है और परमेश्वर को जानता है.
1 यूहन्ना 4:7
God is Love Verse, Love in The Bible
हम ने प्रेम इसी से जाना कि, उसने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिए प्राण देना चाहिए.
1 यूहन्ना 3:16
12.
देखो, पिता ने हमसे कैसा प्रेम किया है कि, हम परमेश्वर की संतान कहलाये; और है भी. इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना.
1 यूहन्ना 3:1
13.
और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
मत्ती 22:39
14.
और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ.
इफिसियों 3:19
मेरी दृष्टी में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूँ, इस कारण मैं तेरे बदले मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूंगा.
यशायाह 43:4“
16.
जो मुझसे प्रेम रखते हैं, उनसे मैं भी प्रेम रखता हूँ, और जो मुझे यत्न से तड़के उठकर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं.
क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिए कि हम यह समजते हैं कि, जब एक सब के लिए मरा तो सब मर गए.
तो मेरा यह आनंद पूरा करो कि, एक मन रहो, और एक ही प्रेम, एक ही चित, और एक ही मनसा रखो.
19.
जिस के पास मेरी आज्ञाए है, और वह उन्हें मानता हैं, वही मुझसे प्रेम रखता हैं; और जो मुझसे प्रेम रखता है उससे मेरा पिता प्रेम रखेगा.और मैं उससे प्रेम रखूँगा और अपने आप को उस पर प्रकट करूँगा.
यूहन्ना 14:21
20.
यीशु ने उसको उत्तर दिया, यदि कोई मुझसे प्रेम रखेगा तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आयेंगे और उसके साथ वास करेंगे.
यूहन्ना 14:23
21.
उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख.
मत्ती 22:37
22.
कृपा और सच्चाई तुझसे अलग न होने पाए; वरन उनको अपने गले का हार बनाना, और अपने ह्रदय रूपी पटिया पर लिखना.
नीतिवचन 3:3“
23.
यदि मैं मनुष्यों और स्वर्गदूतों की बोलियाँ बोलूँ और प्रेम न रखूँ, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झाँझ हूँ.
24.
जो रुपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा, और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से ; यह भी व्यर्थ.
सभोपदेशक 5:10
25.
मित्र सब समय में प्रेम रखता है, और विपति के दिन भाई बन जाता हैं.
नीतिवचन 17:17
26.
और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूँ, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूँ, और मुझे यहाँ तक पूरा विश्वास हो कि मैं पहाड़ों को हटा दूँ, परन्तु प्रेम न रखूँ, तो मैं कुछ भी नहीं।
1 कुरिन्थियों 13.2
27.
परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखे, तो परमेश्वर हम में बना रहता है और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया हैं.
1 यूहन्ना 4:12
28.
यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूँ, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूँ, और प्रेम न रखूँ, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं.
1 कुरिन्थियों 13:3
29.
हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें.
1 यूहन्ना 3:18
30.
परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूँ कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो.
मत्ती 5:44
31.
क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख.
गलातियों 5:14
32.
प्रेम धीरजवन्त है, और कृपालु है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं, 5वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुँझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता.
1 कुरिन्थियों 13: 4,5
33.
मेरी आज्ञा यह है कि, मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो.
यूहन्ना 15:12
34.
क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए.
युहन्ना 3:16
35.
अत: जब कि तुम ने भाईचारे की निष्कपट प्रीति के निमित सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया हैं, तो तन मन लगा कर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो.
1 पतरस 1:22