बाइबल अध्ययन bible study

Bible : बाइबल क्या है और बाइबल क्या सिखाती है | what is the Bible in hindi and Bible Histry

Bible बाइबल क्या है और बाइबल क्या सिखाती है what is the Bible in hindi

ewhat is the bible in hindi बाइबल क्या है ; बाइबल ईसाई धर्म (मसीही) की आधारशिला तथा ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रंथ है. और येशु मसीह का उपदेश लोगों के सामने रखती हैं. बाइबिल आज तक दुनिया में सबसे अधिक बिकी गई किताबों में शीर्ष पर है. बाइबिल की अबतक 5 अरब से भी अधिक प्रतियां बिकीं हैं.

दुनिया में कई ऐसे महान लोग हुए है, जो अपनी सफलता में या जो कुछ भी उन्होंने पाया है उसमे बाइबिल का अहम योगदान मानते है. क्योंकि बाइबिल हमें सफलता का मार्ग बताती है, और हमे उसके लिए तैयार करती हैं, बाइबिल हमे जीवन जीने का तरीका बताती है, बाइबिल हमें एक दूसरे से ही नहीं अपने दुश्मन से भी प्रेम करने को सिखाती हैं, बाइबिल हमारे जीवन को बदलती हैं, और बाइबिल के माध्यम से पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा हम से बात करते हैं.

तो आज के इस लेख के माध्यम से हम यह जानने की कोशिस करेंगे कि, आखिर बाइबिल क्या है? बाइबिल का इतिहास क्या है? और बाइबिल हमे क्या सिखाती हैं?

बाइबल(Bible) क्या है?

बाइबल परमेश्वर का लिखित वचन है और उसके लोगों के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों को नियंत्रित करने वाले मार्गदर्शक सिद्धांतों का अंतिम समूह है. बाइबिल के माध्यम से ही परमेश्वर मानव जाती को अपनी इच्छा, अपने कानून, अपनी प्रकृति और अपने बचाव के उद्देश्य के बारे में बताते हैं.

2 तीमुथियुस 3:16 में लिखा है, सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धार्मिकता की शिक्षा के लिये लाभदायक है. जी बिलकुल, आज भी अगर हम बाइबल में दी सलाहों पर चलें तो हमें लाभ ही होगा.

बाइबल के माध्यम से ही यीशु ने हमें कई अच्छी सलाह दी है.(मत्ती के अध्याय 5 से 7) जैसे सच्ची खुशी कैसे पाएँ, दूसरों के साथ अच्छा रिश्‍ता कैसे बनाएँ, प्रार्थना कैसे करें और पैसों के बारे में सही नज़रिया कैसे रखें. यीशु ने यह सलाह 2,000 साल पहले दी थी, मगर आज भी यह दमदार और फायदेमंद है.

परमेश्वर ने बाइबल में ऐसे सिद्धांत भी लिखवाए हैं, जिन्हें मानने से हमारा परिवार सुखी हो सकता है, हम मेहनती बन सकते हैं और दूसरों के साथ शांति बनाए रख सकते हैं. बाइबल के सिद्धांत हमेशा हमारी मदद कर सकते हैं, फिर चाहे हम कोई भी हों, कहीं भी रहते हों या किसी भी समस्या का सामना कर रहे हों.

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बाइबल का इतिहास

“बाइबिल” लैटिन के बिब्लिया और ग्रीक के बिब्लोस शब्दों से आया है. इस शब्द का अर्थ है किताब, या किताबें, और इसकी उत्पत्ति प्राचीन मिस्र के बाइब्लोस (आधुनिक लेबनान में) बंदरगाह से हुई है, जहां किताबें और स्क्रॉल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पपीरस को ग्रीस में निर्यात किया जाता था. बाइबल के लिए अन्य शब्द पवित्र शास्त्र, पवित्र रिट, स्क्रिप्चर, या शास्त्र हैं, जिसका अर्थ है “पवित्र लेख.” ईसाइयों के लिए, बाइबिल की सबसे सरल परिभाषा “मानव जाति के लिए ईश्वर का वचन” है.

कई स्तरों पर, बाइबल एक असाधारण पुस्तक है, इसकी विविध सामग्री और साहित्यिक शैलियों से लेकर युगों तक इसके चमत्कारी संरक्षण तक. हालाँकि बाइबल निश्चित रूप से इतिहास की सबसे पुरानी किताब नहीं है, लेकिन यह एकमात्र प्राचीन पाठ है जिसकी मौजूदा पांडुलिपियाँ हजारों में हैं.

प्राचीन दिनों में, बाइबल के लेखकों ने उस समय उपलब्ध संसाधनों से इसके संदेशों को दर्ज किया था. धर्मग्रंथ स्वयं उपयोग की गई कुछ सामग्रियों को प्रकट करते हैं: मिट्टी में उत्कीर्णन, पत्थर की पट्टियों पर शिलालेख , स्याही और पपीरस, चर्मपत्र, चमड़ा और धातु.

बाइबिल के पहले भाग यानी पुराने नियम की अंतिम पुस्तक, येशु मसीह के जन्म से लगभग 430 वर्ष पहले लिखी गई थी. बाइबिल का दूसरा भाग यानी नया नियम, जो यीशु के जीवन और प्रारंभिक ईसाई चर्च पर केंद्रित है, यह 90AD के आसपास पूरा हुआ था. पूरा बाइबिल जो आज हमारे पास है उसकी पहली प्रति 312 ई. के आसपास ग्रीक भाषा में पूरी हुई थी. बाइबिल की इस पहली पूर्ण प्रति को वेटिकन पुस्तकालय में रखा गया था, इसलिए इसे कोडेक्स वेटिकनस कहा जाता था. 405 ई. तक, जेरोम ने पुराने और नए टेस्टामेंट दोनों का लैटिन में अनुवाद किया था, जिसे कैथोलिक चर्च ने 600 ई. में बाइबिल की आधिकारिक भाषा बना दिया था. 16वीं शताब्दी तक पूरी बाइबिल का अंग्रेजी में अनुवाद नहीं हुआ था.

बाइबिल का मूल पाठ केवल तीन भाषाओं में संप्रेषित किया गया था : हिब्रू , ग्रीक और अरामी. ओल्ड टेस्टामेंट अधिकांश भाग हिब्रू में लिखा गया था, जिसमें कुछ प्रतिशत अरामी भाषा में लिखा गया था. न्यू टेस्टामेंट ग्रीक भाषा में लिखा गया था.

बाइबल के लेखक

बाइबल लगभग 1,500 वर्षों की अवधि के दौरान विभिन्न पृष्ठभूमि से आए हुए लगभग 40 लेखकों द्वारा लिखी गई 66 पुस्तकों और पत्रों का संकलन है. बाइबिल के कुछ लेखक राजा, सरकारी अधिकारी, कवि और यहाँ तक कि एक डॉक्टर भी थे, जबकि कुछ लेखक गरीब, अशिक्षित मछुआरे भी थे. बाइबिल के कुछ भाग ऐसे भी हैं जिनके लेखकत्व को लेकर विद्वान और इतिहासकार अनिश्चित हैं.

बाइबिल लेखकों के बारे में बात करे तो, यशायाह एक भविष्यद्वक्ता था, एज्रा एक पुरोहित था, मत्ती एक चुंगी-लेने वाला था, यूहन्ना एक मछुआरा था, पौलुस तम्बू बनाने वाला था, मूसा एक चरवाहा था, लूका एक वैद्य था. 15 सदियों के मध्य में विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखे जाने के बावजूद भी, बाइबल स्वयं में विरोधाभासी नहीं है और ना ही इसमें किसी तरह की कोई त्रुटि पाई जाती है. बाइबिल का एक एक वचन एक दूसरे को संदर्भित करते हैं. इसकेसभी लेखक विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करते हैं, परन्तु फिर भी वे एक ही सच्चे परमेश्‍वर की, और उद्धार के एक ही जैसे मार्ग – यीशु मसीह के होने की घोषणा करते हैं.

बाइबल की कुछ पुस्तकें विशेष रूप से उनके लेखकों के नाम को लिपिबद्ध करती हैं. यहाँ पर उन पुस्तकों का नाम उनके लेखकों के साथ, उनके लेखनकार्य की सम्भावित तिथि के साथ दिया गया है जिनके लिए सबसे अधिक सम्भावना बाइबल के विद्वानों के द्वारा व्यक्त की गई है, कि यही उनके लेखक रहे होंगे:

पुस्तकलेखकसम्भावित तिथि
उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था,
गिनती, व्यवस्थाविवरण
मूसा1400 ईसा पूर्व
यहोशूयहोशू1350 ईसा पूर्व
न्यायियों, रूत, 1 शमूएल, 2 शमूएलशमूएल / नातान / गाद1000 – 900 ईसा पूर्व
1 राजा, 2 राजायिर्मयाह600 ईसा पूर्व
1 इतिहास, 2 इतिहास, एज्रा, नहेम्याहएज्रा450 ईसा पूर्व
ऐस्तरमोर्दकै400 ईसा पूर्व
अय्यूबमूसा1400 ईसा पूर्व
भजन संहिताअधिकांश दाऊद, कई विभिन्न लेखक1000 – 400 ईसा पूर्व
नीतिवचन, सभोपदेशक, श्रेष्ठगीतसुलेमान900 ईसा पूर्व
यशायाहयशायाह700 ईसा पूर्व
यिर्मयाह, विलापगीतयिर्मयाह600 ईसा पूर्व
यहेजकेलयहेजकेल550 ईसा पूर्व
दानिय्येलदानिय्येल550 ईसा पूर्व
होशेहोशे750 ईसा पूर्व
योएलयोएल850 ईसा पूर्व
आमोसआमोस750 ईसा पूर्व
ओबद्याहओबद्याह600 ईसा पूर्व
योनायोना700 ईसा पूर्व
मीकामीका700 ईसा पूर्व
नहूमनहूम650 ईसा पूर्व
हबक्कूकहबक्कूक600 ईसा पूर्व
सपन्याहसपन्याह650 ईसा पूर्व
हाग्गैहाग्गै520 ईसा पूर्व
जकर्याहजकर्याह500 ईसा पूर्व
मलाकीमलाकी430 ईसा पूर्व
मत्तीमत्तीईस्वी सन् 55
मरकुसयूहन्ना मरकुसईस्वी सन् 50
लूकालूकाईस्वी सन् 60
यूहन्नायूहन्नाईस्वी सन् 90
प्रेरितों के कामलूकाईस्वी सन् 65
रोमियों, 1 कुरिन्थियों, 2 कुरिन्थियों, गलातियों,
इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, 1 थिस्सलुनीकियों,
2 थिस्सलुनीकियों, 1 तीमुथियुस, 2 तीमुथियुस, तीतुस, फिलोमोन
पौलुसईस्वी सन् 50-70
इब्रानियोंअज्ञात्, अधिकांश सम्भावना पौलुस, लूका, बरनाबास, अपुल्लोस की हैईस्वी सन् 65
याकूबयाकूबईस्वी सन् 45
1 पतरस, 2 पतरसपतरसईस्वी सन् 60
1 यूहन्ना, 2 यूहन्ना, 3 यूहन्नायूहन्नाईस्वी सन् 90
यहूदा यहूदाईस्वी सन् 60
प्रकाशितवाक्ययूहन्नाईस्वी सन् 90

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बाइबल की संरचना

बाइबल में 66 पुस्तकें हैं. और इन्हें पुराने नियम और नया नियम ऐसे 2 भागों में विभाजित किया गया है. पुराने नियम में कुल 39 पुस्तकें और नए नियम की 27 पुस्तकें शामिल हैं.

1) पुराने नियम की पुस्तकों का क्रम

1. पंचग्रंथ(मूसा की 5 पुस्तकें) : उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती, और व्यवस्थाविवरण

2. इतिहास की पुस्तकें : यहोशू, न्यायियों, रूत, 1शमूएल, 2शमूएल, 1राजाओं, 2 राजाओं, 1इतिहास, 2इतिहास, एज्रा, नेहम्याह, और एस्तेर

3. कविता की पुस्तकें : अय्यूब, भजन संहिता, नीतिवचन, सभोपदेशक, और श्रेष्ठगीत

४. भविष्यवाणी की पुस्तकें : यशायाह, यिर्मयाह, विलापगीत, यहेजकेल, दानिय्येल, होशे, योएल, आमोस, ओबद्याह, योना, मीका, नहूम, हबक्कूक, सपन्याह, हाग्गै, जकर्याह, और मलाकी

जैसे ऊपर दिखाया गया है, बाइबल की पुस्तकें कालानुक्रमिक क्रम में नहीं, लेकिन इतिहास, कविता, भविष्यवाणी आदि विषयों के आधार पर क्रमित की गई हैं.

उदा. 1) यिर्मयाह की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई से पहले और उसके दौरान लिखी गई थी, भविष्यवाणी की पुस्तक के रूप में वर्गीकृत की गई, लेकिन 2 इतिहास की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई से लौटने के बाद लिखी गई थी, इतिहास की पुस्तक के रूप में वर्गीकृत की गई, और इसलिए उसे यिर्मयाह की पुस्तक के पहले रखा गया है.

यिर्म 25:11 भविष्यवाणी की गई कि यहूदी लोग सत्तर वर्ष तक बेबीलोन में बंदी बनाए जाएंगे।
2इत 36:21 इसकी पूर्णता का वर्णन किया गया।
उदा. 2) यशायाह की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई के लगभग 100 साल पहले लिखी गई थी, एक भविष्यवाणी की पुस्तक है और बाइबल की तेईसवीं पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित की गई है. लेकिन एज्रा की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई से लौटने के बाद लिखी गई थी, इतिहास की पुस्तक के रूप में वर्गीकृत की गई और बाइबल की पन्द्रहवीं पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित की गई.

यश 45:1 भविष्यवाणी की गई कि यहूदी बेबीलोन की बंधुवाई से कुस्रू के द्वारा छुड़ाए जाएंगे.
एज्रा 1:1 उसकी पूर्णता का वर्णन किया गया.

2) नए नियम की पुस्तकों का क्रम

1. चारों सुसमाचार(यीशु के कामों के अभिलेख) : मत्ती, मरकुस, लूका, और यूहन्ना

यूहन्ना रचित सुसमाचार मत्ती, मरकुस, लूका तीनों सुसमाचार के लगभग बीस और तीस वर्ष बाद लिखा गया है।

2. इतिहास की पुस्तक(प्रेरितों के कामों के अभिलेख) : प्रेरितों के काम

3. संदेशपत्र : रोमियों, 1कुरिन्थियों, 2कुरिन्थियों, गलातियों, 1थिस्सलुनीकियों, 2थिस्सलुनीकियों, 1तीमुथियुस, 2तीमुथियुस, तीतुस, इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, और फिलेमोन

  • यात्री पत्र(प्रेरित पौलुस के मिशनरी यात्रा पर लिखे पत्र) : रोमियों, 1कुरिन्थियों, 2कुरिन्थियों, गलातियों, 1थिस्सलुनीकियों, और 2थिस्सलुनीकियों
  • मेषपालीय पत्र(पादरियों के लिए पौलुस के पत्र) : 1तीमुथियुस, 2तीमुथियुस, और तीतुस
  • जेल से पत्र(पौलुस के बन्दीगृह से लिखे पत्र) : इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, और फिलेमोन

4. सामान्य संदेशपत्र(अज्ञात या सामान्य इलाकों में ईसाई समुदाय को संबोधित पत्र) ; इब्रानियों, याकूब, 1पतरस, 2पतरस, 1यूहन्ना, 2यूहन्ना, 3यूहन्ना, और यहूदा

5. भविष्यवाणी की पुस्तक : प्रकाशितवाक्य

पुराने नियम की पुस्तकों के जैसे, नए नियम की पुस्तकें भी कालानुक्रमिक क्रम में नहीं है, लेकिन विषयों के अनुसार क्रमवार की गई हैं.

उदा.) 2पतरस की पुस्तक को नए नियम की बाईसवीं पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित किया गया है, लेकिन वह यूहन्ना रचित सुसमाचार के पहले लिखी गई थी जो बाइबल के नए नियम में चौथी पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित की गई है।

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बाइबिल क्या सिखाती है?

बाइबिल परमेश्वर के प्रेरणा से लिखी गई हैं. जैसे परमेश्वर ने सूचित किया ठीक वैसे ही लेखकों ने बयां किया, इसलिए बाइबिल की हर किताब एक दुसरे के साथ सटीक मेल खाती हैं. बाइबिल के माध्यम से परमेश्वर हमें सिखाते हैं कि, वह(परमेश्वर) सर्वशक्तिमान हैं, जिसने दुनिया को रचा और मनुष्यों को उसकी महिमा के लिए सर्जा. बाइबिल हमें परमेश्वर का स्वभाव दिखाती है, कि वह(परमेश्वर) कितना दयालु है. उसने मनुष्य को शैतान के बंधन से छुड़ाने के लिए अपने एकलौते पुत्र को दे दिया. ताकि वह मनुष्य के पापों का मौबदला चूका सके. यानी बाइबिल हमें परमेश्वर के महान प्रेम के बारे में सिखाती हैं.

बाइबल आपकी ज़िंदगी बदल सकती है। यह आपको खुद को जानने में मदद दे सकती है। यह आपके मन में छिपे विचारों और भावनाओं को समझने में आपकी मदद कर सकती है। उदाहरण के लिए, हम शायद कहें कि हम परमेश्‍वर से प्यार करते हैं। लेकिन यह कहना काफी नहीं है। अगर हम सचमुच परमेश्‍वर से प्यार करते हैं तो हम उसकी बातें मानेंगे जो उसने बाइबल में लिखवायी हैं।

20 बाइबल सचमुच परमेश्‍वर की तरफ से है। वह चाहता है कि आप इसे पढ़ें, इसकी जाँच करें और यह आपकी मन-पसंद किताब बन जाए। इस तोहफे के लिए हमेशा एहसानमंद रहिए और इससे सीखते रहिए। तब आप समझ पाएँगे कि परमेश्‍वर ने इंसानों को क्यों बनाया है। अगले अध्याय में हम इसी बारे में सीखेंगे।

निष्कर्ष

बाइबिल का हर वचन परमेश्वर से प्रेरित है. और बाइबिल का हर वचन जीवन जीने का तरीका बताते है. बाइबल के माध्यम से ही हम जान सकते है कि, परमेश्वर की इच्छा क्या है. और जब हम उसकी इच्छा के अनुसार जीवन व्यतीत करते है, तब वह हमारे लिए असंभव, विचारों से परे, सोचने से भी अधिक ऐसा महान कार्य करता हैं. और वह हम बाइबिल के माध्यम से जान सकते है.

बाइबिल का मुख्य केंद्र मनुष्य जाती का उद्धार है. और बाइबिल हमें सिखाती है कि अगर हमें उद्धार पाना है तो येशु मसीह पर विश्वास करना होगा. और जो कोई भी प्रभु येशु मसीह पर विश्वास कर के उसे अपना उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करता है, उसके लिए बाइबिल एक मार्गदर्शक बन जाती हैं. बाइबिल उसे हर बुराई से दूर रहने में मदद करती है, उसके विपरीत परिस्थियों में उसके विश्वास को और मजबूत बनाती है, ताकि येशु मसीह उसे छुड़ा सके, बाइबिल उसको एक सफल व्यक्ति बनाने में मदद करती हैं.

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Note :- इस लेख में जो भी ऐतिहासिक तथ्य लिए गए है, वह डिजिटली मौजूद सामग्री से लिए गए है. और उन ऐतिहासिक तथ्य के साथ लेखक ने अपने विचार साझे किए हैं.

अगर आप परमेश्वर की गहरी बातों से अंजान होंगे तो हम आपको बाइबिल पढ़ने की सलाह देते है, बाइबिल आपका जीवन बदलेगी, और आपको एक सफल, आदर्श व्यक्तित्व के रूप में निखारेगी. निचे दी गई लिंक से आप बाइबिल प्राप्त कर सकते है;

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1). Bible Trivia, बाइबल सामान्य ज्ञान प्रश्न-उत्तर, Bible question answer

2) बाइबल के रोचक तथ्य, 30 Amazing Facts About The Bible

3) क्या परमेश्वर के और भी दूसरे नाम हैं?

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